किसे अपना दुःखडा में सुनाऊँ? किसके आगे हाथ मे फैलाऊँ? सबके सब यहां पे भिखारी है, किसको अब में पुकार लगाऊँ? स्वार्थी सब ही यहां नर-नारी है किस मनुष्य के पास में जाऊँ? किसे अपना दुःखडा में सुनाऊँ? किस चौखट पे पांव में बढाऊँ? जिस किसी के पास में जाता हूँ, उसके मन में ईर्ष्या-बूंदे पाता हूँ किस निश्छल जगह मे जाऊँ? जहां बस अपनापन में पाऊँ किसे अपना दुःखडा में सुनाऊँ? जो भी यहां मेरी मदद करता है वापस मदद की उम्मीद करता है किस पाक चंदन को सर लगाऊँ? जिससे में भव-पार उतर जाऊँ बालाजी,तू ही है,साखी की बाती, तेरे दीप से ही बस रोशनी पाऊँ बाकी सब जगह तम की पाऊँ तेरे दर पे में तो बड़ा सुकूँ पाऊँ बालाजी तुझसे ही में चैन पाऊँ दे बाला शक्ति की तेरे नाम से, हर शूल में खुद को महकाऊं दुनिया के स्वार्थी रिश्ते-नातों में, बस तेरा ही रिश्ता में सच्चा पाऊँ करता रहूं ताउम्र में तेरी ईबादत दे हनुमानजी तेरी ऐसी मोहब्बत तेरी ईबादत में खुद को भूल पाऊँ तेरा नाम लेते-लेते,सांसे छोड़ जाऊं दिल से विजय किसे