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दूर कहीं निकल जाना चाहता हूं, दुनिया से बिछड़ जान

दूर कहीं निकल जाना चाहता हूं,

दुनिया से बिछड़ जाना चाहता हूं,

वो जोड़ता-जोड़ता थक जाए मुझे,

मैं इस क़दर बिखर जाना चाहता हूं।।


प्रकाश कंबोज कविता
दूर कहीं निकल जाना चाहता हूं,

दुनिया से बिछड़ जाना चाहता हूं,

वो जोड़ता-जोड़ता थक जाए मुझे,

मैं इस क़दर बिखर जाना चाहता हूं।।


प्रकाश कंबोज कविता