प्रेम ऐसा जो नदी सा अनवरत बहता रहें प्रेम जो निस्वार्थ होकर जा समुंदर में गिरे प्रेम का ये योग जो संयोग से बनता रहें अनकहे ही शब्द में परिभाषा गढ़ता रहे. ©Garima प्रेम का सार्थक अर्थ भाग -2