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पुलकित बावरा सा मन हुआ जा रहा है,

पुलकित बावरा सा मन हुआ जा रहा है,                                  खुशी की दस्तक है,                                                               किनारा स्वयं ही पास आ रहा है,                                               तन्हाई, दर्द पसरा हुआ था आन्गन मे,                                   सुखो का  सवेरा आन्गन महका रहा है ।                                  arvind bhanwra उजली भोर
पुलकित बावरा सा मन हुआ जा रहा है,                                  खुशी की दस्तक है,                                                               किनारा स्वयं ही पास आ रहा है,                                               तन्हाई, दर्द पसरा हुआ था आन्गन मे,                                   सुखो का  सवेरा आन्गन महका रहा है ।                                  arvind bhanwra उजली भोर