यह सरल-कठिन जीवन अपना, हर घड़ी दिखाता है सपना। हो प्यारी जीवन की बगिया, इक नन्ही डाली वाला घर। हो गली हमारे अपनों की, मैं कहीं बसाऊं एक शहर। इक प्यारी गैया हो मेरी और बछड़ा हो उसका प्यारा सा, हों हरे-भरे से खेत मेरे और इक छोटा उपवन न्यारा सा। मैं जाऊं जब भी खेती को, वो खाना लेकर आ जाए। और पास में मेरे बैठ वहीं, निजी हाथ का स्वाद चखा जाए। बस यही सोचता रहता हूं सब छोड़ चला जाऊं घर को, और अपने सपनों को संजो संजो, मैं क्युं न सवारूं जीवन को। लेकिन है मुझ पर दायित्व बहुत, उनका भी भार उठाना है। कुछ सपने माता-पिता के हैं, उनको भी पार लगाना है। हूँ नहीं स्वयं में एक पथिक, हैं अनेक जीते मुझमें। आशाओं का अंबार लिए, जो कब से झांक रहे मुझमें। तो चलो करें पूरी उनकी अभिलाषाओं की रेखा को, और अर्पित कर दें यह जीवन, अपनों को, अपने अपनों को। #yqbaba #yqdidi #yq #yqdada #yqhindi #yqrishi #delhilove #yourquote