सब खुला खुला सा है, बिखरा सा है पन्नों के बीच की गन्ध उड़ी सी है तुम्हारे लिए मैं खुली किताब हूं सच्ची कहानियों सी बात हूं शायद, मुझमें यही ख़राबी है। तुमने मेरे हर सच का समेटा है हर झूठ के बंडल को दूर फेंका है न कोई मेरी नई कहानी बची है जिसे मैं तुम्हें सुना सकूं न कोई मेरी राजधानी बची है जिसे मैं तुम्हें घुमा सकूं तुम्हारे लिए मैं खुली किताब हूं सच्ची कहानियों सी बात हूं शायद, मुझमें यही ख़राबी है। हर बातों को तुम परख लेना RTI से मेरे हर जज्बातों को बिताए पलों, मेरी साखों को तुम मेरी हरफ़ को फिर से परख लेना गर कोई कमी निकले कोई नमी निकले मुझे तुम बला देना, हला देना फिर मुझे भुला देना तुम्हारे लिए मैं खुली किताब हूं सच्ची कहानियों सी बात हूं शायद, मुझमें यही ख़राबी है। एक लेखक दुनिया के साथ-साथ अपनी ख़राबियाँ भी नज़र में रखता है। #ख़राबी #शायद #खुली_किताब #सच्चीकहानी #yqdidi #collab #yqhindi Collaborating with YourQuote Didi Vaibhav Dev Singh