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माखन चोरी न की हू मैया, मुझको यू ही फसाते है, थोड

माखन चोरी न की हू मैया,
मुझको यू  ही फसाते है,
थोड़ी सी माखन के लिए मैया,
ये गोपियां मुझको नचाते है,

  जब भी जाऊं गईया चराने,
मेरे पीछे पीछे  चलेआते है,
बात न मानू इनकी कभी तो,
 माखन का लालच दिलाते है,

कोई मेरी हथेली पकड़ कर
तो कोई मेरी बंसी पकड़कर
मुझको सावला बुलाते है,
माखन चोरी न की हू मैया,
मुझको यू ही फसाते है,
 
बंसी बजा दो ना  नटखट बोलकर,
मैया माखन मुझको दे जाते है,
मेरे बंसी की धुन में मैया, मस्तमगन हो जाते है।
🙏🙏🙏

©pushpanjali netam
  #Krishna  प्रेरणादायी कविता हिंदी

#Krishna प्रेरणादायी कविता हिंदी

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