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सुनो मैं गज़ल सुना रहा हूं, हां, मैं तुम्हें बुला

सुनो मैं गज़ल सुना रहा हूं,
हां, मैं तुम्हें बुला रहा हूं।
जो बैठे हो कुछ दूर पे, यूं रूठ के मुझसे,
मैं अपने शब्दों से तुम्हें  माना रहा हूं।
जो ख़्वाब हमने साथ देखें थे,
देखो, उनको आज हकीकत बना रहा हूं।।
हां माना थी मजबूरी कुछ तुम्हारी कुछ हमारी,
मैं उन पुरानी यादों को भुला रहा हूं।।
सुनो, पता है जा चुके हो दूर तुम मुझसे, 
मैं एक बार फिर से उन दूरियों को मिटा रहा हूं।
सुनो मैं गज़ल सुना रहा हूं,
हां, मैं तुम्हें बुला रहा हूं।।

#SHIVANGI ASTHANA SA 🖋️❤️

©Shivangi Asthana #Distance
सुनो मैं गज़ल सुना रहा हूं,
हां, मैं तुम्हें बुला रहा हूं।
जो बैठे हो कुछ दूर पे, यूं रूठ के मुझसे,
मैं अपने शब्दों से तुम्हें  माना रहा हूं।
जो ख़्वाब हमने साथ देखें थे,
देखो, उनको आज हकीकत बना रहा हूं।।
हां माना थी मजबूरी कुछ तुम्हारी कुछ हमारी,
मैं उन पुरानी यादों को भुला रहा हूं।।
सुनो, पता है जा चुके हो दूर तुम मुझसे, 
मैं एक बार फिर से उन दूरियों को मिटा रहा हूं।
सुनो मैं गज़ल सुना रहा हूं,
हां, मैं तुम्हें बुला रहा हूं।।

#SHIVANGI ASTHANA SA 🖋️❤️

©Shivangi Asthana #Distance