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White ना मिले ज़रिया कोई, ना दिखे रस्ता कोई, छिन

White ना मिले ज़रिया कोई, ना दिखे रस्ता कोई,
 छिन गया हो जैसे , मुझसे मेरा हिस्सा कोई। 
टूट कर बिखर गए, मेरे सामने सपने मेरे, 
हारकर पतझड़ से जैसे , पेड़ हो झड़ा कोई।
 ना कहो दरिया मुझे , जो गहरी आँखें नम मेरी, 
मैं उसी दरिया में डूबा, गुम चुका कतरा कोई।
 हर पत्थर से ठोकर लगी , धक्का मिला हर शख्स से,
 टूटा हूँ इतनी बार कि खुद , हूँ रह गया टुकड़ा कोई। 
सच है इतना कड़वा कि, जो मर मिटा मैं आज ही, 
भूल जाएगा ये जहां , था ऐसा भी इंसां कोई।

©Nitin Arya Muntzir
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