Mirjapur School of parenting: every parent should watch# 1 मिर्ज़ापुर उस कड़ी का हिस्सा लगती है जहां एक बहुत अच्छी कथा को गुंडो में प्रत्यारोपित करके गाली के इर्द गिर्द बुना जाता है इसने दिखाने की कोशिश की कि कैसे बाहुबलियो के भी भावनात्मक उतार चढ़ाव बहुत रोचक होते है। इनकी गालियॉ को साधुवाद ये अभी ऐसे नाटक है कि माता पिता को दिखाना तो दूर उनके सामने स्वीकार करना भी स्टंट सरीखा है कि हाँ हमने ये सीरीज हैडफ़ोन व कम्बल का सदुपयोग करते हुए देखी है ।खासतौर से आपके पास एक बहुत काबिल छोटा भाई हो जिसके सामने आप अक्सर खुद को बलराम महसूस करते हो कि मम्मी पापा और गोपिया सब इसके हिस्से । हम हल(समस्याओ के) लेके घूम रहे हैं और कोई पूछता ही नहीं पर मेरी सलाह में हर माता पिता या जो बनने वाले हैं उनको लालन पालन की बारिकिया सीखने हेतु ये एक अच्छा प्रयोग साबित हो सकता है मिर्जापुर में यूँ तो केंद्रबिन्दु पंकज त्रिपाठी जी थे और पिता का किरदार कर रहे थे इसलिये सबलोगो का ध्यान उन्ही पर था मगर सच पूछिये तो अन्य अभिववक जैसे कुलभूषण खरबंदा का निभाया पंकज त्रिपाठी के पिता का किरदार ,या अली फैज़ल व विक्रांत मैसी के माता पिता का किरदार रमाकाँत पण्डित व वसुधा पण्डित स्वीटी गुप्ता व गजगामिनी गुप्ता के पिता परशुराम गुप्ता सब कुछ ना कुछ विशेषता लिये थे ।उन सब के किरदारो पर ध्यान दे कर शायद हम बहुत कुछ सीख सकते हैं अभिवावक व बच्चो के रिश्ते के संदर्भ में क्रमशः नोट-अपने विचार कमेंट में जरूर व्यक्त कीजिएगा क्यूँकी जब ये सब पढ़कर मेरे पूज्य पिताजी मुझे लात मारे तो मुझे वो अनुभूति ना हो कि "ना खुदा मिला ना विसाले सनम " शेष फिर