जब भी ख्याल तुम्हारा आया बनकर खुशबू मुझे महका गया ठेस तो है दिल में बहुत तुम्हारे ना होने का मगर तुम्हारी यादे ये आभास ही नही होने देती की तुम नहीं हो हर पल लगता है तुम यही कही हो तुम्हारी चाहत की खुशबू फैली है फूलो की महक बनकर तुम्हारा प्यार बिखरा है आसमान में बनकर इंद्रधनुष का सप्तरंग दुःख तो बहुत है तुमसे बिछड़ कर मगर हर वक्त खयाल यही आया कि मेरे दर्द से कही तुम्हे दर्द न हो अब तो आदत हो गयी है जीने की तुम्हारी यादो के साथ सोच में रहता हूं अकसर अकेला और तन्हा बैठा रहता हूँ ठंडी हवाएं बारिश की बूंदे कुछ नए रंग लेकर फिर से मेरी जिंदगी को सजाते है और तुम्हारी यादो के साथ जीने की एक नई राह दिखाते है। ©Shubham Anand Manmeet जब भी ख्याल तुम्हारा आया बनकर खुशबू मुझे महका गया ठेस तो है दिल में बहुत तुम्हारे ना होने का मगर तुम्हारी यादे ये आभास ही नही होने देती की तुम नहीं हो हर पल लगता है