दुआ मागते है लोग ईश्वर से, लेकिन विश्वास ही नहीं रखते खुद पे, रब के दरबार में तो सिर्फ वो दुआ कूबूल होती है, जो उन पर सच्चा विश्वास रखके माँगी जाती है, और सिर्फ उनकी पूरी होती है जिसे ईश्वर का सम्मान रख उन्हें अपनी जिम्मेदारी समझकर पूरा करना आता है, क्योंकि भगवान भी उन्हीं की सहायता करते है जो खुद अपनी सहायता करते है, और जो खुद को लाचार समझते है तो भगवान भी उनको लाचार ही रखते हैं, क्योंकि सिर्फ मागने से कुछ नहीं मिलता, पाने के लिए कुछ जतन भी करना पड़ता है। #dua_yu_hi_poori_nhi_hoti