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दोस्ती का दिन मुबारक ~ग़ज़ल~ हमारी सुन कभी फरियाद-ए

दोस्ती का दिन मुबारक 
~ग़ज़ल~
हमारी सुन कभी फरियाद-ए-दोस्त
मुसलसल हो रहे नाशाद-ए-दोस्त

बहुत तन्हा  यहाँ  मैं रो  रहा   हूँ  !
पलट कर लौट आ मेरे पास-ए-दोस्त

कभी देखा  नहीं उसने  पलटकर  
मुझे जो कर गया बर्बाद-ए-दोस्त

कभी हर बात पे  हँसता   रहा मैं 
मगर क्यों हो गया नाशाद-ए-दोस्त

मेरी खातिर लड़ोगे कब तलक तुम 
करो खुद से मुझे आज़ाद-ए-दोस्त    
dns,✍
दोस्ती का दिन मुबारक 
~ग़ज़ल~
हमारी सुन कभी फरियाद-ए-दोस्त
मुसलसल हो रहे नाशाद-ए-दोस्त

बहुत तन्हा  यहाँ  मैं रो  रहा   हूँ  !
पलट कर लौट आ मेरे पास-ए-दोस्त

कभी देखा  नहीं उसने  पलटकर  
मुझे जो कर गया बर्बाद-ए-दोस्त

कभी हर बात पे  हँसता   रहा मैं 
मगर क्यों हो गया नाशाद-ए-दोस्त

मेरी खातिर लड़ोगे कब तलक तुम 
करो खुद से मुझे आज़ाद-ए-दोस्त    
dns,✍
ansaridns1236

Ansari Dns

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