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मैं हूं , इक उम्मीद है । जीने के लिए और क्या चा

मैं हूं ,
इक उम्मीद है ।



जीने के लिए और क्या चाहिए



अमृत भी पानी ,

जहर भी पानी


उलझा हूं 

कि 

पीने के लिए 
 और 
क्या चाहिए।।

©SHIVAM SINGH TOMAR
  Priya Gour