प्रेम तपस्या है, प्रेम भावना है, प्रेम विस्वास है, प्रेम दया है, प्रेम सर्वजगत का आधार है। पति से निश्चल प्रेम कर अनसूया, त्रिलोक की महातापस्विनी बन गयी, माँ बाप की जिंदगी को अपनी मोहबत्त समझने वाला श्रावण कुमार, सर्वश्रेष्ठ पुत्र बन गया। कर्तव्य से प्रेम करने वाले, राजा हरिश्चंद्र, महादानी बन गए। प्रेम किसी भी रूप में तिज़ारत नही हो सकती जहा इसका मोल होने लगेगा, वह प्रेम कभी वास नही हो सकता। ---प्रेम वर्षा की जल भांति होता है, जो हमेसा नीचे की तरफ गीरता है, और प्रकृति को तृप्त कर लाखो जीवं जंतुओं को प्रेम का सबक सीखाता है। ©Pradeep Sargam💐💐 #Nojoto #pradeepsargam #LostTracks