White संघर्षों में विराम कहां है, जीवन में आराम कहां है। थकी हुई है रातें सारी, सुकूं का कोई शाम कहां है। किस्मत का एहसान कहां है, मेहनत का वरदान कहां है। रिक्त मेरा किरदार अभी है, मेरा अपना नाम कहां है। उसकी लेखनी से, तुलना क्यू, क्यू कहना भगवान कहां है। गर हासिल करने हो सपने, फिर जीवन ये आसान कहां है। सहज भी है तो कुछ दिन ही, तू कुछ दिन का, मेहमान कहां है। कोई महज़ नहीं किरदार तेरा, पर इतना भी, तुझे भान कहां है। बिना भान के जीवन झूठा, झूठे जीवन में, ज्ञान कहां है। सत्य बिना ये जग अंधियारा, ज्ञान बिना सम्मान कहां है। भरना है किरदार सत्य से, भय से विमुख होकर लड़ना है। सत्य, ज्ञान,कर्म यही है जीवन, इसके बिना तू महान कहां है।। ©Vishwas Pradhan #MondayMotivation #Poetry #hindi_poetry