"कर्ता" लोग ढूंढते फिरते हैं, पता तेरा पूछते फिरते है। कोई कहता तू आसमां में, कोई कहता तू जमीं पे, कोई कहता तू आफताब में, कोई कहता तू हर कहीं पे। कुछ तो नास्तिक भी होंगे जरूर, नहीं माने जो तुझको मेरे हुजूर। लेकिन तू तो है, तू तो है, ज़र्रे ज़र्रे में है हर कहीं। कोई माने या ना माने, वो जगह बनी नहीं, जहां तू नहीं। कौन है जो सूरज चांद बनाता है। कौन है ग्रहों को आसमां में टिकाता है। कौन है जो पंच तत्वों को मिलाता है। कौन है सितारों को जगमगाता है। कौन है जो जीवो का निर्माण कराता है। कोई है जो हर दिल में प्यार जगाता है। कोई तो है, कोई तो है कहीं ना कहीं, बिना कर्ता के कर्म संभव ही नही। VIKASH KAMBOJ "कर्ता"