जाले हटाते रहे मकढ़े बुनते गये, ओ हमारी एक ना सुने गैरो की सुनते गये, जिन रास्तो पर मिली मुझको रुसवाईया उन्ही रास्तो को बार बार चुनते गये, जाले हटाते रहे मकढ़े बुनते गये ओ हुये क्यू खफा क्या हुई गल्तिया जिन्दगी भर वजह हम ढूढ़ते गये, जाले हटाते रहे मकढ़े बुनते गये, ©Ajay verman #जाले हटाते रहे!!