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जो किताबों की थी दुनिया आज बेमानी हुई। देखते ही दे

जो किताबों की थी दुनिया आज बेमानी हुई।
देखते ही देखते गूगल की दीवानी हुई। 

एक वो भी दौर था जब यार थे दिलदार था
जिस्म जर्जर क्या हुआ हर शै की मनमानी हुई। 

कब तलक लख़्त-ए-जिगर को रखता सीने से लगा
एक दिन होना विदा था आज बेगानी हुई। 

मौत उसके साथ ही रहती रही शाम-ओ-सहर
ज़िंदगी ये क्यों समझ पाई न हैरानी हुई। 

रौंद डाले गुल चमन के मसली उसने हर कली 
ख़ार खुद को चुभ गए तो क्यों परेशानी हुई? 

हमने तो बस जुल्म को कुचला था अपने पांव से
लोग कहते हैं कि ये तो बात लासानी हुई। 

कुछ ने शम्मा प्यार की रोशन रखी दिल में सदा
कुछ को 'मीरा' ग़र्ज़ ये थी कितनी ताबानी हुई। #बेमानी हुई😞
जो किताबों की थी दुनिया आज बेमानी हुई।
देखते ही देखते गूगल की दीवानी हुई। 

एक वो भी दौर था जब यार थे दिलदार था
जिस्म जर्जर क्या हुआ हर शै की मनमानी हुई। 

कब तलक लख़्त-ए-जिगर को रखता सीने से लगा
एक दिन होना विदा था आज बेगानी हुई। 

मौत उसके साथ ही रहती रही शाम-ओ-सहर
ज़िंदगी ये क्यों समझ पाई न हैरानी हुई। 

रौंद डाले गुल चमन के मसली उसने हर कली 
ख़ार खुद को चुभ गए तो क्यों परेशानी हुई? 

हमने तो बस जुल्म को कुचला था अपने पांव से
लोग कहते हैं कि ये तो बात लासानी हुई। 

कुछ ने शम्मा प्यार की रोशन रखी दिल में सदा
कुछ को 'मीरा' ग़र्ज़ ये थी कितनी ताबानी हुई। #बेमानी हुई😞