नारी" ईश्वर की अद्वितीय रचना है विश्व के उद्भव की कल्पना है। सृष्टि के आरम्भ का प्रतिरूप है, इस धरा पर ब्रह्म का वह रूप है।। कई स्वरूपों में इसका ही वर्णन है, देवों के द्वारा भी "माँ" का महिमामंडन है। माँ के लिये कुछ भी नहीं लिखूंगा मैं, माँ के द्वारा ही स्वयं मेरा उदगम है।। पत्नी स्वरूप में वह किरदार सभी अपनाती है, माँ के जैसी ममता और एक कुशल मित्र बन जाती है।। बेटी स्वरुप में हो जब तो वह माँ की झलक दिखाती है, बहन स्वरुप में आकर वह जीवन का मर्म बताती है।।।। कवि, शायरों ने नारी का वर्णन तो खूब बताया है, उनने बस केवल उसके सौंदर्य रूप को ही दिखाया है।। किसी ने उसकी ममता, वात्सल्य,प्रेमभाव का चित्र नहीं खींचा होगा, किसी ने उसकी भौतिक सौंदर्य से हो विरक्त भावस्थल को शब्दों से नहीं सींचा होगा।।।।। मिश्रा हर्षित मिश्रा #first step in Nojoto's world😊😊😊😊