ज़िन्दा लोगों के शमशान अच्छे नहीं होते. बिना खिड़कियों के मकान अच्छे नहीं होते. ग़म बिना बताए कभी भी आ जाता है, घर आए सारे मेहमान अच्छे नहीं होते. ज़िन्दा हो तो जीने की ख़्वाहिश भी रक्खो, बिना पंछियों के आसमान अच्छे नहीं होते. ज़िन्दा लोगों के शमशान अच्छे नहीं होते. बिना खिड़कियों के मकान अच्छे नहीं होते. ग़म बिना बताए कभी भी आ जाता है, घर आए सारे मेहमान अच्छे नहीं होते. ज़िन्दा हो तो जीने की ख़्वाहिश भी रक्खो, बिना पंछियों के आसमान अच्छे नहीं होते.