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लगता है डर ख़यालों से अपने खामोशी से भरी जुबां भी ड

लगता है डर ख़यालों से अपने
खामोशी से भरी जुबां भी डराती है 

सिमट कर रह गई ज़िन्दगी अंधेरों में
हर पल तकलीफ जो साथ रह जाती है 

कभी कभी सूरज की पहली किरण भी डरा जाती है
न जाने कौनसा नया तूफान समेट कर आती है 

विश्वास से भी मन उठ जाता है
धोखा जब पुराना याद आता है 

हर अपना भी पराया अब लगता है
अब तो अपने साये से भी डर लगता है

★अनकहे अल्फाज़★

©Priya Singh #life #lifeexperience #thought #Man #jazbaat #ehsas #Jimmedari #samjhdari #samjh
लगता है डर ख़यालों से अपने
खामोशी से भरी जुबां भी डराती है 

सिमट कर रह गई ज़िन्दगी अंधेरों में
हर पल तकलीफ जो साथ रह जाती है 

कभी कभी सूरज की पहली किरण भी डरा जाती है
न जाने कौनसा नया तूफान समेट कर आती है 

विश्वास से भी मन उठ जाता है
धोखा जब पुराना याद आता है 

हर अपना भी पराया अब लगता है
अब तो अपने साये से भी डर लगता है

★अनकहे अल्फाज़★

©Priya Singh #life #lifeexperience #thought #Man #jazbaat #ehsas #Jimmedari #samjhdari #samjh
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Priya Singh

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