बिक रहा है पानी, पवन बिक न जाए। बिक गई है धरती, गमन बिक न जाए चाँद पर भी बिकने लगी है ज़मी डर है सूरज की तपन बिक न जाए। हर जगह बिकने लगी है स्वार्थ नीति डर है कि कही धर्म बिक न जाए। देकर दहेज ख़रीदा गया है अब दुल्हे को कही उसी हाथो दुल्हन बिक न जाए। सरेआम बिकने लगे है अब सांसद डर है कि कही सांसद भवन न बिक जाए। आदमी मारा तो माँ की आँखे खुली है डरता है मुर्दा कही कफ़न न बिक जाए। क्या होगा इस देश का #goyalji #nojoto