इन तमाम चकाचौंध से अलग एक शहर है मेरा भी, जो वीरान बहुत है, हैं तो काफी अपने मेरे फिर भी ना जाने क्यों मेरा सहर सुनसान बहुत है, एक ऐसा शहर है मेरा जहाँ बस मैं हूँ और मेरी तन्हाई है, इस शहर मे खामोशी तो बहुत, है पर इस खामोशी मे भी एक शोर है, एक ऐसा शोर जो सिर्फ मुझे मेहसूस होता है, एक ऐसा शोर जिसमे काफ़ी गहराई है। इसलिए तो मेरे इस वीरान शहर मे कोई आता भी नही है, क्योकी, इस शहर मे ना तो रोशनी हैं, और ना ही वो तमाम चकाचौंध का नज़ारा है, बस एक खामोशी है यहाँ जो सिर्फ मुझे मेहसूस होता है, खैर, कोई नहीं आता ,मेरे इस वीरान शहर मे मेरे इसका कोई खास गम नही हैं, ज़रुरत नही किसी की क्योंकि मेरे इस, शहर की तन्हाई मे भी दिल महफ़ूज सा होता है, कोई साथ नही पर मेरे इस शहर की खामोशी तो साथ है ना बस काफी यही है। -Dikaha Raj #MeraShehar चैलेंज🙏🙏