शीर्षक ----- चौथा बंदर भूतकाल में बंदर तीन चौथा वर्तमान में आया आभा-सी जगत को दे तिलांजलि आभासी जगत को अपनाया रिश्ते यहां बहुत से हैं किस किस का नाम बताऊं मैं तीनों बंदरों को कोने में रखो चौथे की बात बताऊं मैं मंद मंद तुम मुस्काओगे जब राज की बात सुनाऊं मैं सुबह शाम कोई समय न देखे हरपल इसमें डूबा रहता मां बापू आवाज लगाते काम छोड़ खाने को बुलाते आया अम्मा , आया बापू झल्लाकर चिल्लाता है प्रेमिकाओं से जब तब बतियाता है दीदी अम्मा रिश्ते नये आधार बने हैं संबोधन में एक दूजे के #यार बने हैं खाना पीना मेला चोना बाबू सब होता है सुबह सवेरे आंख खोलकर ये सोता है हास्य नहीं , कटू व्यंग भी नहीं ये नवपीढ़ी की दारूण कहानी है बढ़ते विज्ञान प्रभाव के कारण बर्बाद हो रही जवानी है सुन लो गुन लो इस जीवन का सार चौथा बंदर नहीं बचेगा "बेधड़क" चाहे कर लो जितना उपचार । 🌷👰💓💝२१/०६/२०१८ ...✍ कमल शर्मा 'बेधड़क' ..... मुजफ्फरनगर , उत्तर प्रदेश । शीर्षक ----- चौथा बंदर भूतकाल में बंदर तीन चौथा वर्तमान में आया आभा-सी जगत को दे तिलांजलि आभासी जगत को अपनाया रिश्ते यहां बहुत से हैं किस किस का नाम बताऊं मैं