अपनो नै जं कखनो अप्पन रहतइ। त कहु आश कि लोक दोसर सँ करतई। जं अप्पन समांग हरदम खिशियैते रहतइ। त कहू आन कखनो मोजरो करतइ? ओना त दोसर सं बेसी उम्मीद नहिये करी... तयो जं एक मनुख दोसर क मदद नै करतइ। त कहू जे फेर इ जग कोना कय रहतइ? आत्मनिर्भरता बड निक गप होयत छैक, लेकिन ओकरा सदिखन रट लगेनियाहर; एक बेर समाजो क गौर सं देखू,... जतऽ परस्पर मेल- मिलान सँ सब काज सम्पन्न होएत छैक ।। पसंद आबई त लाइक कॉमेंट करब😊 कुनो त्रुटि भेल हैत त क्षमा करब आ संगही अपन सुझावों देब🙏 @jha #jhapost