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जिसके बग़ैर मेरी आँखें भी ना खुले पाये, ना ही उठ प

जिसके बग़ैर मेरी आँखें भी ना खुले पाये,
ना ही उठ पाऊ पाती हू,
 और कभी,
उठ भी जाऊ तो बेज़ान सा लगने लगता है,
ये जीश्म मेरा,
सुनो ना तुम मेरी जाँ !
तुम मेरी वो सुबह की चाय बन जाओ ना .........

©Pinki
  #HEART_BEA_TEA