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डॉ. प्रकाश जी डोंगरे की पंक्तियाँ जलती सड़कों पर

डॉ. प्रकाश जी डोंगरे की पंक्तियाँ

जलती सड़कों पर
जो एक
अकेला आदमी
गुलमोहर की तलाश में
नंगे पाँव जा रहा है
व्यवस्था का सूरज
सबसे अधिक
उससे ही घबरा रहा है।

''बूढ़ा पिता और आम का पेड़'' काव्य संग्रह से साभार

©सतीश तिवारी 'सरस' 
  #व्यवस्था