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एक मुस्कराहट भरा, ख्वाब जो हमने देखा था। आज उसी म

एक मुस्कराहट भरा, 
ख्वाब जो हमने देखा था।
आज उसी मुस्कराहट के पीछे, 
अपने आँसू छूपा कर जा रहे हैं हम।
यूँ तो क‌ई सवाल तुमसे करने आया था।
आज उन्हीं सवालों को लेकर, 
मैं वापस जा रहा हूँ।
हम तुम्हारे जीवन में साथी के तरह आए थे,
एक फूकरे की तरह वापस चल दिए।
हम कभी आए थे जिंदगी बनकर,
एक दिए तुम्हारे गोद में सोते हुए, 
अपनी आखिरी वक्त तय कर जाएंगे।
हम यादों के निशान और अपने पैरों के, 
निशान के साथ जा रहे हैं, 
जो कभी नहीं मिटेंगे।
हम जो कुछ भी आपसे महसूस करते थे,
उसे तुमसे कहना चाहते थे, 
लेकिन हम सब कुछ छुपाकर चल दिए,
क्योंकि हम आपसे हिम्मत नहीं कर सके।
                                           -राजीव

©RAJIV
  मैं और मेरी कविता
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RAJIV

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मैं और मेरी कविता

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