तुम रहने दो दूर ही सही हो ठीक उस तरह जैसे चांद दूर रहता है अमावस की रात से चलो तुम चांद बन जाओ और मैं अमावस तुम रहने दो कुरेदने को उन बातों को जो दब गई हैं वक्त में कहीं तुम्हारा लौटना आसान है मेरा लौटना नामुमकिन है तुम रहने दो उन जज्बातों को बयां करने को जो दिल के उस भाग को स्पर्श करे तन्हा रहने दो यूं ही इसे मचलने को दुबारा रहने दो वाकिफ हूं हदों से अपनी अब मैं... (2) तुम एतबार न करो, फरेब ही हमें रहने दो सुनो... तुम रहने दो ©Ankur Mishra तुम रहने दो दूर ही सही हो ठीक उस तरह जैसे चांद दूर रहता है अमावस की रात से चलो तुम चांद बन जाओ और मैं अमावस तुम रहने दो