ना शस्त्र चलाया इन्होंने, ना अस्त्र चलाया, फ़िर भी आ गए गोरे घुटनों पर, बांध लंगोटी, धोती पहने, डंडा धारी, चल पड़ा ये तो सत्य के चिन्हों पर। सत्य अहिंसा का पाठ पढ़ाया, मन से ईर्ष्या, द्वेष, कलुषित भाव मिटाया। जीतते गए ये हर महा संग्राम, चलकर प्रेम और अहिंसा के पदचिन्हों पर।। *कृपया रचना लिखने से पहले कैप्शन को जरूर पढ़ें *आज की ये विशेष प्रतियोगिता है *इस विषय पर आपको 4 पंक्तियों में लिखना है *विशेष प्रतियोगिता