आहट तेरी ऐसी कोमल किसी को नज़र ना आए, जब आए निशा वेला में, कभी भी सहर ना आए। आहट या पदचाप तुम्हारा जिसने भी जान लिया, वो हो गया मालामाल जिसने तुम्हें पहचान लिया। तू कमला तू पंकजा है और तू ही भाग्य विधाता है, तुझसे चलता सृष्टि सारा, तुझसे सभी का नाता है। तेरी चरण रज़ पाकर दीन हीन अमीर बन जाता है, जो तुझको तिरस्कार किया वो फ़कीर बन जाता है। आहट तेरी चपल चंचला जिस द्वार ठहर जाती है, सुख, समृद्धि, शौर्य, शांति उसके घर कर जाता है। रचना विषय - ' आहट तेरी ' #हिन्दी_काव्य_कोश ✨पंक्तियों की कोई सीमा नहीं #yqbaba #tmkosh 🎯 collab करने के बाद विषय के comment में Done लिखें। 🎯 Done न लिखा जाने पर उस रचना को प्रतियोगिता से बाहर समझा जायेगा। 🎯रचना चुनी जाने के बाद दुसरे दिन के विषय पर रचना लिखी जानी चाहिए ताकि सभी रचनाकार आपकी रचनाओं को पढ़ सकें। 🎯 कृपया रात्रि 12:00 am तक अपनी रचनाएँ भेज दें। समय सीमा अधिक रखने का उद्देश्य उत्कृष्ट रचनाओं का संकलन है। 🎯 इन सभी रचनाओं में से एक रचना को हिन्दी काव्य कोश टीम द्वारा विजयी 🏅घोषित किया जायेगा परन्तु इसका यह अर्थ कदापि नहीं है कि और सभी रचनाएँ अच्छी नहीं हैं।