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** बाप ** वो थकता था, लड़ता था, तकलीफें उठाता था,

** बाप **

वो थकता था, लड़ता था, तकलीफें उठाता था,
खुद के लिए नहीं, वो परिवार के लिए कमाता था,
दिन रात सब बराबर थे उसके लिए,
वो ठंड में भी जब पसीने बहाता था,
उम्र गुज़री और कुछ तकलीफ में क्या आये,
वही परिवार अब उसे हर रोज़ ठुकराता था,
था पड़ा अकेला बेबस सा वो एक कमरे में,
पर अब भी मन में वही गीत गुनगुनाता था,
जब उठाया था गोदी में पहली बार उसे,
और वो देख देखकर उसे यूँ मुस्कुराता था,
अकेला छोड़ा नहीं था जिसने कभी,
वो 'बाप' अंधेरे में ..गुमनाम कराहता था ।
@ऋषि सिंह

©•● R.Raj "कविराज" ●• #बाप

#rkalamse #rshayari #kavita  #nojotohindi #hindi_poetry
** बाप **

वो थकता था, लड़ता था, तकलीफें उठाता था,
खुद के लिए नहीं, वो परिवार के लिए कमाता था,
दिन रात सब बराबर थे उसके लिए,
वो ठंड में भी जब पसीने बहाता था,
उम्र गुज़री और कुछ तकलीफ में क्या आये,
वही परिवार अब उसे हर रोज़ ठुकराता था,
था पड़ा अकेला बेबस सा वो एक कमरे में,
पर अब भी मन में वही गीत गुनगुनाता था,
जब उठाया था गोदी में पहली बार उसे,
और वो देख देखकर उसे यूँ मुस्कुराता था,
अकेला छोड़ा नहीं था जिसने कभी,
वो 'बाप' अंधेरे में ..गुमनाम कराहता था ।
@ऋषि सिंह

©•● R.Raj "कविराज" ●• #बाप

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