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हांँ हूँ मैं थोड़ा बखील, सही पहचाना किसी और का नह

हांँ हूँ मैं थोड़ा बखील, सही पहचाना 
किसी और का नहीं, अपने मंज़िल का हूँ दिवाना

तेरी चाहत नहीं मुझे यहांँ तक खींच लाया 
ऐ मंज़िल, इक तेरी ही मुझे प्यार की माया

ठहर जा ओ मंज़िल, मैं तो तुझसे मुतासिर हुआ
तू मेरा सफ़र, और मैं तेरा मुसाफिर हुआ  बखील-कंजूस 
🎀 Challenge-229 #collabwithकोराकाग़ज़

🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है।

🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।

🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 50 शब्दों में अपनी रचना लिखिए।
हांँ हूँ मैं थोड़ा बखील, सही पहचाना 
किसी और का नहीं, अपने मंज़िल का हूँ दिवाना

तेरी चाहत नहीं मुझे यहांँ तक खींच लाया 
ऐ मंज़िल, इक तेरी ही मुझे प्यार की माया

ठहर जा ओ मंज़िल, मैं तो तुझसे मुतासिर हुआ
तू मेरा सफ़र, और मैं तेरा मुसाफिर हुआ  बखील-कंजूस 
🎀 Challenge-229 #collabwithकोराकाग़ज़

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