मौसम की बदलती करवटें और यादों का बदलता मौसम दोनों एक साथ आए तो समझ नहीं आता है कि दोनों में तकलीफ कौन दे रहा है और खुशी कौन।मौसम भी तब तक सुहावना लगता है जब तक वह तूफान का रूप ना ले ले और यादों का भी कुछ ऐसा ही है ये भी तब तक सुकून देती है जब तक आप सुकून में हो वर्ना मौसम तो शारीरिक तकलीफ देता है पर यादें मानसिक रूप से तोड़ देती है। दोनों में फर्क़ इतना सा ही है कि दोनों जब हद से ऊपर हो जाते है तो एक में आदमी ऊपर को चला जाता है और दूसरे में आदमी अपनी हद से बाहर निकलकर पागल हो जाता है। ©Sandeep Sagar #mausamauryaadein #sagarkidiaryse #sharadpurnima