रखने लगा हूँ अब आलम-ए-फ़क़ीरी इन दुनियावी रिश्तों के व्यापार में शीरी सी लगती हैं ज़माने की तल्ख़ बातें कुछ तो बदला है ज़रूर मेरे क़िरदार में ©Kirbadh #rain शायरी दर्द