"आशायें" आशायें हमें दिशा दिखाती हैं मंजिल के पास पहुँचाती हैं मुश्किले तो हर राहों में आती हैं आशायें उन पर विजय पाती हैं हर दिन अपने साथ रात्री लाता हैं हर दुःख आने पर फिर जाता हैं आशायें होसला बढाती हैं राहों का पथ बन जाती हैं सपनों कि ओर जिसकी उडान हैं आशाओ में ही वो जान हैं राहों में बाडे आती हैं आशायें उन्हे मिटाती हैं संकल्प की ओर जिसका पैगाम हैं आशाओं में ही वो जान हैं । क्या चिन्टी गिर कर चढना छोड दे ? क्या पंछी अपना रूख मोड ले ? अगर दुःख हें तो क्या हम दुःख में जीना छोड दे ? आशायें होसला भढाती हें राहो का पथ बन जाती हैं सपनों ओर जिसकी उडान हैं आशाओ में ही वो जान हैं सूरज पडिंत