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जिस तरह दफ्न है रूह सीने में कहीं । कुछ ऐसे ही रात

जिस तरह दफ्न है रूह सीने में कहीं ।
कुछ ऐसे ही रात और दिन भी कही मिले होंगे ।
जिस तरह रोज शाख में खिलता है फूल कयी ।
इसी खुशी में भंवरे, तितलियां भी फिरते होंगे ।
 सबको पता है बिना पानी के अधूरा है जीवन ।
किसी और के लिए आंसू क्यों जाने गिरते होंगे ।
जरूरी हो गया कोई जो कल ही तो मिला था ।।
उसे खोने के बाद तुम रात ठीक से सोए होगे ।
क्या फर्क पड़ता है खुद को अजनबी समझ लो ।
बेहतर है हम जिंदा थे उनकी जिंदगी ना बन सके ।

©Vickram
  किस का किसी से
 कैसा नाता है,,
vickram4195

Vickram

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किस का किसी से कैसा नाता है,, #शायरी

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