..,................. वो चूल्हे की आग,ठंड में उसकी ताप वो कच्ची मिट्टी का आंगन,उसके सामने बड़ा प्रागंण वो माखन बनाने का मटका,और लांटेन हमेशा रहता लटका वो गाय भैंस का तबेला,रहता ना था कोई अकेला गांव का मेला,वो गलियों में नाला,हर दरवाज़ा बिना ताला अब ढूंडने पर भी नहीं मिलता वो बड़ा परिवार,वो बुजुर्गो का दुलार,वो डांट फटकार वो एकसाथ मनाते सारे त्योहार,वो शादियों की बहार