अब रोज़ रोज़ थोड़ा थोड़ा बिखरने लगा हूं मै कुछ इस तरह तेरे खयालों में उतरने लगा हूं मै कौन है सहारा यहां सब दिखवा ही तो है मियां हर रोज़ गिर गिर कर खुद सम्हलने लगा हूं मै शुख़्नवर- मसरूर आलम Masroor Alam