डियर दीपशिखा जी, 'का लिखें' 'का लिख दिया', जैसी होती है कहानी, लफ़्ज़ों का भंडार कम नहीं, ये ग़ज़लों की हैं रानी। न-न कर के भी हँसते-हँसते काग़ज़ पूरा भर देतीं, 'दिल' से लेकर 'कंकर' तक की धुन है गुनगुनानी। हमारे नाम पर रसमलाई में करेला डूबाके खाती हैं, हलवाई जी, चटवाने में क्यों करती हैं आनाकानी? सब है इनको ख़बर, जहाँ शक वहाँ मिले शक्कर, बिना दूध हर प्रकार की चाय का पिलाती हैं पानी। चलो अब जन्मदिन की बहुत-बहुत शुभकामनायें, साईं-कृपा के संग-संग शिवजी और हैं माँ भवानी। Dedicating a #testimonial to Deepshikha skb जी... आपको जन्मदिन की बहुत-बहुत बहुत-बहुत सारी बधाई और शुभकामनायें 🎊🎉🎊🎉🤗🤗🤗🤗🤗💐💐💐💐🌹🌹🌹🌹🌹🎂🎂🎂🎂🎂🎈🎈🎈🎈🎈🎁🎁🎁🎁🎁 🚚🚚x🚚🚚 आ गई दस जुलाई जी, Happy Birthday हलवाई जी, छोड़कर सब बहाने अब, जल्दी से खिलाओ रसमलाई जी।