*तुम* और मैं... अक्सर मिलते हैं, मेरी हर उलझन में, मेरी हर मुश्किल में, तुम साथ देती हो मेरा, मेरी प्रेमिका की तरह, शेष अनुशीर्षक में *तुम* और मैं... अक्सर मिलते हैं, मेरी हर उलझन में, मेरी हर मुश्किल में, तुम साथ देती हो मेरा, मेरी प्रेमिका की तरह, तुम्हें जब कांच के, पारदर्शी लिबास में ,