Nojoto: Largest Storytelling Platform

देखो निढाल शम्स भी अपनी आग से ज़ख़्मी है बेचारा हम भ

देखो निढाल शम्स भी अपनी आग से ज़ख़्मी है बेचारा
हम भी ठीक वैसे ही जल रहे अलबत्ता है चनाब किनारा— % & वो कहता है तुम में इश़्क-ओ-आशिक़ी की थोड़ी कमी है... 😴

PS. : चिनाब नदी के लिए एक बहुत ही प्रसिद्ध कहावत है, जो कि अक्सर पाकिस्तान के लोग कहा करते हैं कि चिनाब में पानी नहीं इश़्क-ओ-आशिक़ी बहती है।
चिनाब नदी का उद्गम हिमाचल प्रदेश में चंद्रा और भागा नदियों के संगम से हुआ है। यहां भारत में इसे चंद्रभागा के नाम से जाना जाता है। यह जम्मू और कश्मीर के जम्मू क्षेत्र से होकर पंजाब, पाकिस्तान के मैदानी इलाकों में बहती है। और इस नदी को वहां चिनाब के नाम से जाना जाता है।
पंजाब, (पाकिस्तान) की चार प्रसिद्ध प्रेम-कथाओं हीर-रांझा, मिर्ज़ा-साहिबा, सस्सी-पुन्नू और सोहनी-माहीवाल हैं। इनमें से हीर-रांझा, मिर्ज़ा-साहिबा, और सोहनी-माहीवाल, कथाओं के वर्णन के अनुसार सभी चिनाब नदी के आसपास ही जन्मे थे। 
यहां तक कि हीर रांझा जिनका प्रेम राधा-कृष्ण की तरह वहां पर प्रसिद्ध है, उनको झंग में जहां एक ही कब्र में दफनाया गया था, वह जगह हीर रांझा की मज़ार और हीर माई की मज़ार के नाम से प्रसिद्ध है और वो मज़ार भी चिनाब नदी के पास ही स्थित है।
 
इन प्रसिद्ध प्रेमियों में से कुछ ने इस नदी का पानी पिया था और कुछ ने इस नदी को छूकर गुजरी हवाओं को जीया था। और कौन नहीं जानता सोहनी तो इस नदी में डूब कर मर गई थी...  शायद तभी यह नदी प्रेम प्रतीक बन गई है और इसे इश्क की नदी भी कहा जाता है, और शायद  इसी कारण यह कहावत वहां पर प्रसिद्ध है कि चिनाब में पानी नहीं इश़्क-ओ-आशिक़ी बहती है।
देखो निढाल शम्स भी अपनी आग से ज़ख़्मी है बेचारा
हम भी ठीक वैसे ही जल रहे अलबत्ता है चनाब किनारा— % & वो कहता है तुम में इश़्क-ओ-आशिक़ी की थोड़ी कमी है... 😴

PS. : चिनाब नदी के लिए एक बहुत ही प्रसिद्ध कहावत है, जो कि अक्सर पाकिस्तान के लोग कहा करते हैं कि चिनाब में पानी नहीं इश़्क-ओ-आशिक़ी बहती है।
चिनाब नदी का उद्गम हिमाचल प्रदेश में चंद्रा और भागा नदियों के संगम से हुआ है। यहां भारत में इसे चंद्रभागा के नाम से जाना जाता है। यह जम्मू और कश्मीर के जम्मू क्षेत्र से होकर पंजाब, पाकिस्तान के मैदानी इलाकों में बहती है। और इस नदी को वहां चिनाब के नाम से जाना जाता है।
पंजाब, (पाकिस्तान) की चार प्रसिद्ध प्रेम-कथाओं हीर-रांझा, मिर्ज़ा-साहिबा, सस्सी-पुन्नू और सोहनी-माहीवाल हैं। इनमें से हीर-रांझा, मिर्ज़ा-साहिबा, और सोहनी-माहीवाल, कथाओं के वर्णन के अनुसार सभी चिनाब नदी के आसपास ही जन्मे थे। 
यहां तक कि हीर रांझा जिनका प्रेम राधा-कृष्ण की तरह वहां पर प्रसिद्ध है, उनको झंग में जहां एक ही कब्र में दफनाया गया था, वह जगह हीर रांझा की मज़ार और हीर माई की मज़ार के नाम से प्रसिद्ध है और वो मज़ार भी चिनाब नदी के पास ही स्थित है।
 
इन प्रसिद्ध प्रेमियों में से कुछ ने इस नदी का पानी पिया था और कुछ ने इस नदी को छूकर गुजरी हवाओं को जीया था। और कौन नहीं जानता सोहनी तो इस नदी में डूब कर मर गई थी...  शायद तभी यह नदी प्रेम प्रतीक बन गई है और इसे इश्क की नदी भी कहा जाता है, और शायद  इसी कारण यह कहावत वहां पर प्रसिद्ध है कि चिनाब में पानी नहीं इश़्क-ओ-आशिक़ी बहती है।
anitasaini9794

Anita Saini

Bronze Star
New Creator