मुझे अब आफताब की रोशनी नहीं चाहिये , मुझे अब अंधेरों से किनारा नहीं चाहिये , इतने आँसू दे दे खुदा मेरी आँखों मे , खुद ही पी जाऊँ कोई पोंछने वाला नहीं चाहिये