दौर हमारा बेकारी का जो उस रोज आया था माँ बाबा परेशान थे गैरों को कहाँ फर्क़ पड़ा था हज़ार हाथ पाँव मारते तब जाकर घर में चुल्हा जलता था केसे आँख मिलाते उनसे रिश्तेदारों का कर्जा जो चढ़ा था हाथों की लकीर ने साथ ना दिया कुछ यूँ मुकद्दर से भरोसा उठा था याद है उस समय की हर बात मैं ही तो परिवार का सहारा बना था दौर हमारी बेकारी का मेरे नादान से जवान बनने का कारण बना था #tape_a_tale नोट:- group के नियमों के अनुरूप ही लिखे गए writeups को ही accept किया जाएगा, नियमों के लिए caption अवश्य पढ़ें....! *🌸Any writer can write anything about गंभीर गुरुवार "दौर हमारा बेकारी का" but remember the rule🌸* 👇RULES📜👇