बनें वो आईना गर तो, संवरना हम न छोड़ेंगे ; करें वो लाख कोशिश भी, रिश्ता हम न तोड़ेंगे । भले रुसवा किया उसने, मगर रोने से डरता हूं ; मैं जीना छोड़ दूं कैसे जो मरना वो न छोड़ेंगे ।। ©RISHI SHUKLA बनें वो आईना गर तो, संवरना हम न छोड़ेंगे ; #rishishukla #Rishta #Mirror Sudha Tripathi कवि संतोष बड़कुर