किसी ने कहा कुछ त्रुटियां हैं जरा गौर से देखों" मैं देखता गया मन के शौर को जिसके हलचल से बनी थी कविताएं.. कविताओं में शब्द दिखें लोगों को और मुझे दिख रहें थें किसी की स्मृतियां जो घर कर गया हैं मुझमें... मैंने बताना चाहा कई बार अपने आप के बारे में फिर भी लोगों ने कहा पीड़ाओं को सहकर नहीं रहते दर्द बांटने से बंटता हैं...!! और मैंने महसूस किया ये सुनकर कि अक्सर ओर परेशानियां बढ़ जाती हैं दर्द बताने से..... ©prahlad mandal मैंने महसूस किया #prahlad_mandal #Poetry #Hope