रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिये आ अब तक दिल-ए-खुशफ़हम को हैं तुझ से उम्मीदें ये आखिरी शम्में भी बुझाने के लिये आ Lyrics By: अहमद फ़राज़ ©Varun Vashisth #aajkegalib