नई भोर एक बुनते हैं चल नूर पश्म के तारों से राह चलें चल अब जो हमको क़ामिल करे बहारों से रंज रात के रहने दे,जो छूटा वो छूटा कब तक जोड़ मिलाएँगे,जो टूटा वो टूटा और चलें क्यों आगे हम तुम काफ़िर हुए सहारों से नई भोर एक बुनते हैं चल नूर पश्म के तारों से आज हौंसले फिर चखते हैं उम्मीदों को रहने दे पैरों को मझधार बना कर उल्टी गंगा बहने दे आज डूब के मिलते हैं चल फिर से नए किनारों से नई भोर एक बुनते हैं चल नूर पश्म के तारों से एक नयी परवाज़ सींच कर आज उफ़क़ को फाँदेंगे कब तक ऐसे शहतीरों से कल के खुद को बाँधेंगे आज़ाद करें मन्नत के धागे चल हम सभी मज़ारों से नई भोर एक बुनते हैं चल नूर पश्म के तारों से एक बसंती बात शुरू हो जो फाल्गुन में ढल जाए और रंग मुस्कानों का जो गालों पर भी मल जाए नई कोपलें लगी फूटने अब तो सभी चिनारों से नई भोर एक बुनते है चल नूर पश्म के तारों से नई भोर एक बुनते है चल नूर पश्म के तारों से राह चलें चल अब जो हमको क़ामिल करे बहारों से रुहीना@ नूर पश्म के तारों से ©Mo k sh K an #mokshkan #mikyupikyu #ruhina #noor #Hindi