सुंदर रहना तन मन से। खुद से सख्ती, अपनों का आभार मन से। प्यार रहे अपार, उदारता अपरम्पार दिल से। लिखती रहूं मैं नित, उनके गुण हज़ार, थक जाऊं मैं, पर है लीला उनकी सदाबहार। हमारी चेतना के प्रारूप श्रीराम हैं, उनके द्वारा संचालित सारे जगत के काम हैं... #श्रीराम #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi